मंगलवार, 13 जनवरी 2009

स्वभाव का लक्ष्य ही आदरणीय है



आत्म स्वभाव के लक्ष्य वाला जीवन ही आदरणीय है , इसके सिवाय दूसरा जीवन आदरणीय गिनने में आया नहीं | विकल्प में स्वयं का अस्तित्व मानने से और महातम्य भाव से ही मिथ्यात्व है |
पूज्य गुरुदेव श्री कानजी स्वामी

5 टिप्‍पणियां:

kumar Dheeraj ने कहा…

आपकी सच्चाई से मै इत्तफाक रखता हू । सच कहा है आपने

Unknown ने कहा…

हिन्दी चिठ्ठा विश्व में आपका हार्दिक स्वागत है, खूब लिखें, लगातार लिखें, शुभकामनायें… सिर्फ़ एक अर्ज है कि कृपया वर्ड वेरिफ़िकेशन हटा दें ताकि टिप्पणी में कोई बाधा न हो और इस सुविधा की कोई जरूरत भी नहीं है… धन्यवाद

shama ने कहा…

Oh ! To ye aapkaa nayaa blog hai...! Anek shubhkamnayen..!

Udan Tashtari ने कहा…

हिन्दी चिट्ठाजगत में आपका हार्दिक स्वागत है. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाऐं.

एक निवेदन: कृप्या वर्ड वेरीफिकेशन हटा लें तो टिप्पणी देने में सहूलियत होगी.

अभिषेक मिश्र ने कहा…

Badhiya pryas shuru kiya hai aapne. Swagat.
(gandhivichar.blogspot.com)

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