मंगलवार, 20 जनवरी 2009

आत्मा और शरीर अत्यन्त भिन्न हैं



भगवान् आत्मा केवलज्ञान की मूर्ती है और यह शरीर तो जड़ -धूल है मिट्टी है शरीर को आत्मा का स्पर्श ही कहाँ है !!
पूज्य गुरुदेव कानजी स्वामी

5 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

आभार इस सदविचार के लिए.

समयचक्र ने कहा…

बढ़िया सदविचार है मनोरिया जी प्रस्तुति के लिए आभार.

Satyawati Mishra ने कहा…

shudhoaham, budhoaham, muktoaham, nasti tatva mamopara

संगीता पुरी ने कहा…

सुंदर विचारों के प्रचार प्रसार के लिए धन्‍यवाद।

seema gupta ने कहा…

"बेहद उत्तम विचार.."

Regards

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