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बुधवार, 14 जनवरी 2009

भगवान् आत्मा




अनंत सिद्धों को तेरी पर्याय में स्थापित किया है , अब तेरा चार गति में रुलना नहीं रहेगा ,अब तुम अल्पज्ञ भी नहीं रह सकोगे अपने सर्वज्ञ स्वभाव से ही तुम सर्वज्ञ हो जाओगे |  


सभी जीव साधर्मी हैं विरोधी कोई नहीं सर्व जीव पूर्णानंद को प्राप्त हो ! कोई जीव अपूर्ण ना रहो कोई जीव विपरीत दृष्टिवंत ना रहो !  
पूज्य गुरुदेव श्री कानजी स्वामी

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