राग की क्रिया करने वाले क्या वो तुम हो ? अज्ञान- और राग का कर्तत्व अपने को सौपना ही अज्ञान- और मिथ्या भ्रम है ...! " सर्वोत्कृष्ट ही परमात्मा कहा जाता है और वह तो तुम स्वंय ही हो " !!! मैं ही परमात्मा हूँ ऐसा स्वीकार कर !
पूज्य गुरुदेव श्री कानजी स्वामी
8 टिप्पणियां:
" सर्वोत्कृष्ट ही परमात्मा कहा जाता है और वह तो तुम स्वंय ही हो " !!! मैं ही परमात्मा हूँ ऐसा स्वीकार कर !
"सत्य वचन आभार"
Regards
ज्ञानी लोग ठीक ही कहते होंगे ! आभार !
bahut shai kaha aapne...
बहुत सुंदर कहा ।
कुन्द के पुष्प जैसी धवल और सुगन्धित है आपकी यह प्रविष्टि. धन्यवाद.
सत्य वचन..
आत्मा ही परमात्मा है
आत्मा हम सब मै है, लेकिन ....
धन्यवाद
बहुत सुंदर, सत्य वचन ।
सत्य वचन जी
एक टिप्पणी भेजें