
बाहर की महिमा छोड़ ;वहाँ क्या है ? इसलिए पर की महिमा और आकर्षण छोड़कर एक बार परम ब्रह्म प्रभु निज आत्मा की महिमा लाकर अपने ज्ञान उपयोग को वहाँ जोड़ दे तो तेरी चार गति का भ्रमण मिट जायेगा
प्रथम तो मैं ज़रा भी पर का (अन्य का) नहीं और अन्य भी मेरा तनिक भी नहीं कारण कि सब ही द्रव्य तत्वत: पर के साथ समस्त सम्बन्ध से रहित है ; इसलिए इस षट द्रव्यात्मक विश्व में मेरी निज आत्मा से अन्य कोई भी मेरा नहीं
पूज्य गुरुदेव श्री कानजी स्वामी
प्रथम तो मैं ज़रा भी पर का (अन्य का) नहीं और अन्य भी मेरा तनिक भी नहीं कारण कि सब ही द्रव्य तत्वत: पर के साथ समस्त सम्बन्ध से रहित है ; इसलिए इस षट द्रव्यात्मक विश्व में मेरी निज आत्मा से अन्य कोई भी मेरा नहीं
पूज्य गुरुदेव श्री कानजी स्वामी