आत्म स्वभाव के लक्ष्य वाला जीवन ही आदरणीय है , इसके सिवाय दूसरा जीवन आदरणीय गिनने में आया नहीं | विकल्प में स्वयं का अस्तित्व मानने से और महातम्य भाव से ही मिथ्यात्व है |पूज्य गुरुदेव श्री कानजी स्वामी
हिन्दी चिठ्ठा विश्व में आपका हार्दिक स्वागत है, खूब लिखें, लगातार लिखें, शुभकामनायें… सिर्फ़ एक अर्ज है कि कृपया वर्ड वेरिफ़िकेशन हटा दें ताकि टिप्पणी में कोई बाधा न हो और इस सुविधा की कोई जरूरत भी नहीं है… धन्यवाद
5 टिप्पणियां:
आपकी सच्चाई से मै इत्तफाक रखता हू । सच कहा है आपने
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Oh ! To ye aapkaa nayaa blog hai...! Anek shubhkamnayen..!
हिन्दी चिट्ठाजगत में आपका हार्दिक स्वागत है. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाऐं.
एक निवेदन: कृप्या वर्ड वेरीफिकेशन हटा लें तो टिप्पणी देने में सहूलियत होगी.
Badhiya pryas shuru kiya hai aapne. Swagat.
(gandhivichar.blogspot.com)
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